हिंदू शब्द का प्राचीन लेख जैन धर्म के चूर्णी साहित्य में मिलता है

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जैन अल्पसंख्य का दर्जा प्राप्त मंगलायतन विश्वविद्यालय ने हिन्दुत्व एक महाविज्ञान विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया। जिसमें मुख्य अतिथि विश्व शांति दूत आचार्य डा. लोकेश मुनी, विशिष्ठ अतिथि राजा महेंन्द्र सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनबी सिंह रहे।
मुख्य अतिथि ने कहा कि अंधकार है वहां जहां आदित्य नहीं है। मुर्दा है वह देश जहां साहित्य नहीं है। साहित्य, ग्रंथ, पुस्तक हमारे जीवन में एक प्रकाश स्तंभ की तरह होता है वह हमारे जीवन को आलोकित करता है और मार्गदर्शन भी करता है। हिंदुत्व शब्द में सबकुछ समाहित है। सनातन का अर्थ वह सदा चलता आ रहा है सनातन स्वत्त्व है जैन दर्शन में भी इन शब्दों का बहुत प्रयोग हुआ। हिंदू शब्द का प्राचीन लेख कहीं मिलता है तो जैन धर्म के चूर्णी साहित्य में मिलता है। आपके मन में प्रश्न होगा कि आप जैन हैं और अपने को क्या हिंदू मानते हैं तो मैं गौरव के साथ कहना चाहूंगा कि मैं हिंदू हूं। विशिष्ठ अतिथि प्रो. एनबी सिंह ने कहा कि हिन्दुत्व जीने कला को सीखाता है। सनातन में संघर्ष और सफलता के लिए सकारात्मक ऊर्जाओं का उल्लेख है। मंगलायतन विश्वविद्यालय के कुलपति पीके दशोरा ने कहा कि हिन्दुत्व वह विचारधारा है जिसमें दुनिया का कोई भी विचार डालों लेकिन हिन्दुत्व, हिन्दुत्व ही रहेगा। इस दौरान संदीप सागर द्वारा लिखित पुस्तक के हिंदी संस्करण ‘हिंदुत्व एक महाविज्ञान’ का विमोचन भी हुआ। इस अवसर पर कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह, गोविंद विभाग प्रचारक आरएसएस, शैलेंद्र जैन,  मनोज सक्सेना, मुनेश कुमार, डा. आर स्वरूप, दीप्ति सिंह, प्रशासनिक अधिकारी गोपाल राजपूत, कवि राजेश बघेल आदि थे। संचालन डा. राजीव अग्रवाल ने किया।

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